राष्ट्रपति क्या है, भारत का राष्ट्रपति कौन हैं

राष्ट्रपति एक बहुत महत्वपूर्ण पद होता है, जो देश का प्रमुख होता है। भारत में राष्ट्रपति को संविधान का प्रमुख और देश का प्रथम नागरिक माना जाता है। राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य करते हैं, और इसके लिए एक खास मतदान प्रणाली का उपयोग किया जाता है। राष्ट्रपति की उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए, और वह भारत का नागरिक होना जरूरी है, President kya hai, Bharat ka rashtrapati kaun hai।

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भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 साल होता है, और वह दोबारा भी चुने जा सकते हैं। राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 53 के तहत कार्यपालिका की शक्ति मिलती है, और वह भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भी होते हैं। वर्तमान में, द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने 25 जुलाई 2022 को पद संभाला, President kya hai, Bharat ka rashtrapati kaun hai।

राष्ट्रपति की जिम्मेदारियों में संसद का आह्वान करना, विधेयकों पर हस्ताक्षर करना, आपातकाल की घोषणा करना, और सजा को माफ या स्थगित करना शामिल है। यदि राष्ट्रपति संविधान का पालन नहीं करते या संविधान का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें महाभियोग के द्वारा पद से हटा सकते हैं, और इसकी प्रक्रिया संविधान में बताई गई है।

भारत के राष्ट्रपति का इतिहास स्वतंत्रता के बाद से कई महत्वपूर्ण घटनाओं और व्यक्तित्वों से भरा हुआ है। भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जिन्होंने 1950 में पदभार संभाला। वह स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे और संविधान सभा के अध्यक्ष भी रहे। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री नेहरू से मतभेद का सामना किया, जैसे हिंदू कोड बिल पर असहमति।

इसके बाद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जो पहले उपराष्ट्रपति भी थे, ने 1962 में राष्ट्रपति पद संभाला। उनका कार्यकाल भारत-चीन युद्ध के समय था, और उन्होंने नेहरू सरकार की नीतियों की आलोचना की, जो विवादास्पद था। जाकिर हुसैन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बने, लेकिन उनका कार्यकाल केवल दो साल का रहा, क्योंकि उनकी मृत्यु के बाद एक संवैधानिक संकट उत्पन्न हुआ, President kya hai, Bharat ka rashtrapati kaun hai।

फखरुद्दीन अली अहमद के कार्यकाल में 1975 में इमरजेंसी लागू की गई, जो भारतीय लोकतंत्र का एक विवादास्पद क्षण था। इसके बाद, नीलम संजीव रेड्डी और शंकर दयाल शर्मा जैसे राष्ट्रपतियों ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जैसे संसद को भंग करने की सिफारिश।

हाल ही में, द्रौपदी मुर्मू ने 25 जुलाई 2022 को भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं, और उनका चुनाव भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय लेकर आया है। यह परंपरा बन गई है कि अधिकांश राष्ट्रपति इसी दिन, 25 जुलाई को शपथ लेते हैं।

भारत के राष्ट्रपति का पद न सिर्फ एक सम्मानित पद है, बल्कि यह देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रपति के अधिकारों और जिम्मेदारियों ने कई बार प्रधानमंत्री और सरकार के साथ टकराव उत्पन्न किया, जिससे भारत के राजनीतिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण मोड़ आए हैं।

राष्ट्रपति की शक्तियाँ क्या होती हैं

भारत के राष्ट्रपति की कई महत्वपूर्ण शक्तियाँ होती हैं, जो संविधान द्वारा निर्धारित की गई हैं। सबसे पहले, राष्ट्रपति कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं और उन्हें सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर का दर्जा प्राप्त होता है, जिससे उन्हें युद्ध की घोषणा करने और शांति स्थापित करने का अधिकार मिलता है। वह प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्य न्यायाधीश और अन्य उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ करते हैं। राष्ट्रपति के नाम पर सभी कार्यकारी निर्णय लिए जाते हैं, हालांकि ये निर्णय मंत्रिमंडल की सलाह पर होते हैं।

विधायी शक्तियों के अंतर्गत, राष्ट्रपति संसद को बुलाने, स्थगित करने और लोकसभा को भंग करने का अधिकार रखते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता। यदि राष्ट्रपति चाहें तो वह किसी विधेयक को वापस भेज सकते हैं या फिर उसे नकार सकते हैं (वीटो शक्ति)। वह संसद के पहले सत्र में संबोधित करते हैं और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी बुला सकते हैं।

न्यायिक शक्तियों के तहत, राष्ट्रपति को दया देने, सजा माफ करने या सजा कम करने का अधिकार होता है, जो उन्हें न्यायिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है। इसके अलावा, राष्ट्रपति के पास आपातकाल की स्थिति की घोषणा करने का अधिकार होता है, जिससे वह देश की सुरक्षा या संविधान की स्थिरता को बनाए रखने के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं।

राष्ट्रपति के पास अन्य अधिकार भी होते हैं, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण फैसले लेना, जैसे युद्ध की घोषणा या शांति स्थापित करना। वह विदेशी राजनयिकों को स्वीकार करते हैं और भारतीय दूतों को विदेश भेजते हैं। इन शक्तियों के माध्यम से, राष्ट्रपति भारतीय राजनीति और सरकार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, हालांकि इन शक्तियों का अधिकांश प्रयोग प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर होता है। राष्ट्रपति का मुख्य कार्य संविधान का पालन करना और सरकारी कार्यों को सही तरीके से चलाना होता है, rashtrapati ki shaktiyon per prakash daliye।

राष्ट्रपति के पास कौन सी आपातकालीन शक्तियाँ होती हैं

भारत के राष्ट्रपति के पास कुछ विशेष आपातकालीन शक्तियाँ होती हैं, जिन्हें संविधान में निर्धारित किया गया है और इनका उपयोग तब किया जाता है जब देश में कोई गंभीर संकट उत्पन्न हो। इनमें तीन प्रमुख प्रकार की आपातकालीन शक्तियाँ शामिल हैं। पहली, राष्ट्रीय आपातकाल (Article 352) होती है, जो तब लागू होती है जब देश में युद्ध, बाहरी आक्रमण या आतंकी हमले जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है। इस स्थिति में राष्ट्रपति केंद्र सरकार को राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार देते हैं और नागरिक अधिकारों को भी सीमित किया जा सकता है।

दूसरी, राज्य आपातकाल (Article 356) की शक्ति होती है, जो तब इस्तेमाल की जाती है जब किसी राज्य में राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य सरकार संविधान का पालन नहीं कर रही या राज्य की स्थिति सामान्य नहीं है। इस स्थिति में राष्ट्रपति राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं, जिससे राज्य सरकार की शक्तियाँ केंद्र सरकार को सौंप दी जाती हैं। तीसरी, संपूर्ण वित्तीय आपातकाल (Article 360) होती है, जो तब लागू होती है जब देश की आर्थिक स्थिति गंभीर संकट में होती है, जैसे कि वित्तीय असंतुलन। इस स्थिति में राष्ट्रपति को केंद्र सरकार को अतिरिक्त शक्तियाँ देने का अधिकार होता है, ताकि वह आर्थिक स्थिति को सुधार सके। इन शक्तियों का उपयोग राष्ट्र की सुरक्षा बनाए रखने और संविधान की रक्षा करने के लिए किया जाता है, और इनका उपयोग संसद की अनुमति से होता है, bharat ke rashtrapati ke pass apat adhikar kitne hai।

क्या राष्ट्रपति किसी भी कानून को लागू करने से रोक सकते हैं

भारत के राष्ट्रपति के पास किसी भी कानून को लागू करने से रोकने की शक्ति होती है, जिसे “वीटो पावर” कहा जाता है। यह शक्ति राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित विधेयकों पर फैसला करने का अधिकार देती है। राष्ट्रपति के पास तीन तरह के वीटो होते हैं। पहला पूर्ण वीटो है, जिसमें राष्ट्रपति किसी विधेयक को पूरी तरह से अस्वीकार कर सकते हैं, और अगर वह विधेयक को मंजूरी नहीं देते, तो वह कानून नहीं बनता। दूसरा निलम्बनकारी वीटो होता है, जिसमें राष्ट्रपति विधेयक को संसद को फिर से भेज सकते हैं ताकि वह इसे फिर से विचार करें। अगर संसद फिर से वही विधेयक भेजती है, तो राष्ट्रपति को उसे मंजूरी देनी होती है।

तीसरा पॉकेट वीटो होता है, जिसमें राष्ट्रपति किसी विधेयक पर समय पर फैसला नहीं करते। इस स्थिति में अगर संसद का सत्र समाप्त हो जाता है, तो विधेयक अपने आप रद्द हो जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि राष्ट्रपति इन शक्तियों का इस्तेमाल आमतौर पर मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का उपयोग सरकार की सलाह के मुताबिक करते हैं, और सिर्फ कुछ खास परिस्थितियों में ही अपनी इच्छा से फैसले ले सकते हैं, Kya rashtrapti kisi kanoon ko lagu hone se rok sakta hai।

राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक खास प्रक्रिया के तहत होता है। यह चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। चुनाव में एक विशेष तरीके से वोटिंग होती है, जिसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहा जाता है। इस प्रणाली में, हर वोट का मूल्य राज्य की जनसंख्या और विधानसभा के सदस्य संख्या के आधार पर तय होता है।

राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को भारतीय नागरिक होना चाहिए, उसकी उम्र 35 वर्ष या उससे ज्यादा होनी चाहिए, और वह लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए। इसके अलावा, वह किसी सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए। चुनाव में वोट गुप्त रूप से होते हैं, और अगर किसी उम्मीदवार को अधिकतम वोट नहीं मिलते, तो दूसरे विकल्पों के वोट मिलाकर यह तय किया जाता है कि कौन विजयी होगा।

चुनाव की तिथियाँ निर्वाचन आयोग तय करता है, और यह प्रक्रिया तब शुरू होती है जब वर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने वाला होता है। अगर राष्ट्रपति संविधान का उल्लंघन करते हैं, तो उन्हें महाभियोग के जरिए हटाया जा सकता है, इसके लिए संसद में एक खास प्रक्रिया होती है। इस तरह से, राष्ट्रपति का चुनाव भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, rashtrapati ka chunav kaise hota hai।

भारत के सभी राष्ट्रपतियों की list और उनके कार्यकाल, भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे

भारत के राष्ट्रपतियों की सूची और उनके कार्यकाल निम्नलिखित है:

राष्ट्रपति का नामकार्यकाल
डॉ. राजेंद्र प्रसाद26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन13 मई 1962 से 13 मई 1967
डॉक्टर जाकिर हुसैन13 मई 1967 से 3 मई 1969
वराहगिरी वेंकट गिरि3 मई 1969 से 20 जुलाई 1969
मोहम्मद हिदायतुल्लाह20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969
वराहगिरी वेंकट गिरि24 अगस्त 1969 से 24 अगस्त 1974
फखरुद्दीन अली अहमद24 अगस्त 1974 से 11 फरवरी 1977
बासप्पा दनप्पा जट्टी11 फरवरी 1977 से 25 जुलाई 1977
नीलम संजीव रेड्डी25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982
ज्ञानी जैल सिंह25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987
रामास्वामी वेंकटरमण25 जुलाई 1987 से 25 जुलाई 1992
शंकर दयाल शर्मा25 जुलाई 1992 से 25 जुलाई 1997
कोचेरिल रमन नारायणन25 जुलाई 1997 से 25 जुलाई 2002
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007
प्रतिभा पाटिल25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012
प्रणब मुखर्जी25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017
राम नाथ कोविंद25 जुलाई 2017 से 25 जुलाई 2022
द्रौपदी मुर्मू25 जुलाई 2022 से वर्तमान

यह सूची भारत के सभी राष्ट्रपतियों के नाम और उनके कार्यकाल को दर्शाती है, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति हैं और द्रौपदी मुर्मू वर्तमान राष्ट्रपति हैं।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री में क्या अंतर है

भारत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं, जो उनकी भूमिकाओं और शक्तियों को अलग-अलग बनाते हैं। राष्ट्रपति को देश का सर्वोच्च नागरिक माना जाता है और वह संविधान के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण पद पर होते हैं। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होते हैं और वह कार्यपालिका के नेता के रूप में कार्य करते हैं।

प्रधानमंत्री की शक्तियाँ राष्ट्रपति से अधिक होती हैं, क्योंकि वह भारत का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होते हैं। राष्ट्रपति के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं, लेकिन अधिकांश कार्य प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद द्वारा किए जाते हैं। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जबकि राष्ट्रपति का चुनाव संसद और राज्यों की विधानसभाओं के सदस्य करते हैं।

प्रधानमंत्री उस राजनीतिक पार्टी से होते हैं, जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त करती है, जबकि राष्ट्रपति किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं होते। यदि लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव पारित करती है, तो प्रधानमंत्री को पद से हटाया जा सकता है, लेकिन राष्ट्रपति को केवल महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता है, जिसके लिए विशेष बहुमत की जरूरत होती है, rashtrapati aur pradhanmantri mein kya antar hai।

राष्ट्रपति के पास आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति होती है, लेकिन प्रधानमंत्री के पास यह अधिकार नहीं होता। राष्ट्रपति के पास न्यायिक शक्तियाँ भी होती हैं, जैसे कि वह मृत्युदंड पर अपराधियों को क्षमा कर सकते हैं, जबकि प्रधानमंत्री के पास ऐसी कोई न्यायिक शक्ति नहीं होती।

प्रधानमंत्री नीतियों और विधेयकों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि राष्ट्रपति विधेयकों पर अपनी सहमति देते हैं, और उनके बिना कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता। राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है और वह पुनर्निवाचन के लिए पात्र होते हैं, जबकि प्रधानमंत्री का कार्यकाल तब तक चलता है जब तक उनकी पार्टी या गठबंधन बहुमत बनाए रखता है, President kya hai, Bharat ka rashtrapati kaun hai।

FAQs

राष्ट्रपति का मतलब क्या है

राष्ट्रपति एक संवैधानिक पद है, जो किसी देश का प्रमुख होता है। भारत में, राष्ट्रपति को “पहला नागरिक” कहा जाता है। यह पद मुख्य रूप से औपचारिक कार्यों और समारोहों के लिए होता है। हालांकि, असली शासन और निर्णय लेने की शक्तियाँ प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के पास होती हैं। भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव संसद और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है, President meaning in hindi।

भारत में पहले राष्ट्रपति कौन थे

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। वे 1950 से 1962 तक राष्ट्रपति रहे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होंने संविधान सभा की अध्यक्षता की और भारत को गणराज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें 1962 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, जो उनके महान कार्यों का प्रतीक है, bharat ke pahle rashtrapati kaun the।

वर्तमान राष्ट्रपति कौन हैं

वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू हैं, जो 25 जुलाई 2022 को पद ग्रहण करने वाली भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं। वे पहली आदिवासी महिला हैं, जो इस पद पर आसीन हुईं। द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत झारखंड विधानसभा से की और बाद में राज्य की राज्यपाल भी रहीं। उनका राष्ट्रपति बनने का चुनाव भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, bharat ke vartman rashtrapati kaun hai।

राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है

भारत में राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, जैसा कि भारतीय संविधान में लिखा गया है। अगर राष्ट्रपति अपने कार्यकाल से पहले इस्तीफा देते हैं या उनका निधन हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति अस्थायी रूप से उनका कार्यभार संभालते हैं। फिर नए राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि देश का नेतृत्व समय-समय पर नवीनीकरण के साथ चलता रहे, President kya hai, Bharat ka rashtrapati kaun hai।