Court ko hindi me kya kahte hain
“कोर्ट” शब्द का हिंदी में अर्थ होता है “अदालत” या “न्यायालय”। यह एक स्थान होता है जहाँ कानूनी मामलों की सुनवाई होती है और न्यायिक निर्णय दिया जाता है। Court न्यायिक प्राधिकृत्य के अनुसार कानून का पालन करता है और मुकदमों के न्यायिक विचारणा का कार्य करता है।
Adalat ko english me kya kahte hain
आदालत (Adalat) को अंग्रेजी में “Court” कहा जाता है।
High court meaning in hindi
“High Court” का हिंदी में मतलब होता है “उच्च न्यायालय”। उच्च न्यायालय एक प्रमुख कानूनी संस्थान होता है जो एक राज्य या क्षेत्र के न्यायिक प्राधिकृत्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
भारत में, विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में उच्च न्यायालय होते हैं, जिनका कार्यक्षेत्र उनके जुरिसडिक्शन क्षेत्र के न्यायिक मामलों की सुनवाई करना होता है। ये उच्च न्यायालय उस राज्य या क्षेत्र के सभी न्यायिक मामलों के लिए अंतिम न्याय प्रदान करते हैं, जैसे कि आपराधिक, नागरिक, संपत्ति, और अन्य कानूनी मामले।
उच्च न्यायालय के पास उनके जुरिसडिक्शन क्षेत्र में कानूनी मामलों के आपील की जगह भी होती है, जिसमें लोग मुकदमे के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायिक प्राधिकृत्य की मांग कर सकते हैं, Court ko hindi me kya kahte hain, Adalat ko english me kya kahte hain, Court meaning in hindi।
Apex court meaning in hindi
“Apex Court” का हिंदी में मतलब होता है “सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकृत्य”। यह एक संविधानिक और कानूनी शब्द है जिसका संक्षिप्त मतलब होता है कि यह न्यायिक संस्थान सर्वोच्च और सबसे उच्च स्तर की न्यायिक प्राधिकृत्य को प्रतिष्ठानित करता है।
सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकृत्य (Apex Court) का मुख्य कार्य विचारणा करना और विभिन्न न्यायिक मामलों में अंतिम न्याय प्रदान करना होता है। इसका मतलब है कि यह सर्वोच्च न्यायिक संस्थान एक देश या क्षेत्र के सभी न्यायिक मामलों को सुनने और न्यायिक निर्णय प्रदान करने के लिए उत्तराधिकृत होता है।
भारत में सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकृत्य को “सर्वोच्च न्यायालय” (Supreme Court) कहा जाता है और यह देश का सबसे उच्च न्यायिक संस्थान है, जो भारतीय संविधान की सख्त पालन करता है और न्यायिक मामलों में अंतिम न्याय प्रदान करता है।
Trial court meaning in hindi
“Trial Court” का हिंदी में मतलब होता है “न्यायिक मुख्यालय” या “मुकदमेबाजी अदालत”। न्यायिक मुख्यालय एक कानूनी संस्थान होता है जो मुकदमेबाजी या न्यायिक प्रक्रिया का पहला चरण होता है। यहाँ पर मुकदमे की शुरुआत होती है, साक्षात्कार होते हैं, प्रमाण प्रस्तुत किए जाते हैं, और मुकदमे का फैसला दिया जाता है।
न्यायिक मुख्यालय एक देश, राज्य या क्षेत्र के न्यायिक प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और यहाँ पर विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई की जाती है, जैसे कि आपराधिक मामले, नागरिक मामले, संपत्ति विवाद, और अन्य कानूनी मामले।
न्यायिक मुख्यालय एक अपील की जगह भी हो सकता है, जिसमें लोग मुकदमे के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायिक प्राधिकृत्य की मांग कर सकते हैं।
Supreme court meaning in hindi
“Supreme Court” का हिंदी में मतलब होता है “सर्वोच्च न्यायालय”। सर्वोच्च न्यायालय एक देश के सबसे उच्च न्यायिक संस्थान को सूचित करता है, जिसका मुख्य कार्य विचारणा करना और देश के कानूनी मामलों में अंतिम न्याय प्रदान करना होता है। सर्वोच्च न्यायालय का कार्यक्षेत्र सभी कानूनी मुद्दों को समाप्त करने और न्यायिक निर्णय प्रदान करने का होता है, जो विभिन्न स्तरों के न्यायिक प्राधिकृत्य के खिलाफ अपील की जाती है।
भारत में भी सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) होता है, जो देश का सर्वोच्च न्यायिक संस्थान है और भारतीय संविधान की सख्त पालना करता है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश भारत के सबसे अधिक योग्य और अधिक न्यायिक अधिकारियों में से कुछ होते हैं, और वहाँ के न्यायिक निर्णय देश के कानूनी मामलों में अखिल भारतीय मानक होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय का कार्यालय न्यू दिल्ली में स्थित है।
Stay in court meaning in hindi
“Stay in court” का हिंदी में मतलब होता है “अदालत में रुकावट” या “अदालत में स्थगन”। यह एक कानूनी आदेश होता है जिसके तहत किसी कानूनी प्रक्रिया या न्यायिक मामले की प्रगति को रोका जाता है।
अदालत में रुकावट की अनुमति देने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि न्यायिक मामले की जांच के दौरान नई जानकारी की आवश्यकता होना, विवाद की विचारणा के दौरान अपील की प्रक्रिया का संविदानिक तौर पर परिपालन, या अन्य कानूनी मुद्दों के लिए।
अदालत में रुकावट का आदेश जब जारी किया जाता है, तो मामले की प्रगति को तात्कालिक रूप से ठप्प कर दिया जाता है, जब तक कि रुकावट हटाने के निर्णय ना लिया जाए। इसके बाद, मामले का चलन वापस शुरू होता है।
Civil court meaning in hindi
“Civil Court” का हिंदी में मतलब “नागरिक न्यायालय” होता है। नागरिक न्यायालय एक प्रकार का Court होता है जो सिविल केसेस या नागरिक मामलों की सुनवाई के लिए बनाया गया होता है। इसमें व्यक्तिगत या सांप्रदायिक मामले, नियम और विधियों के तहत किसी के अधिकारों की रक्षा, नियमन और उनके उल्लंघन के मामले शामिल होते हैं।
नागरिक न्यायालय के अंदर विभिन्न उपन्यासित अधिकारिक जज और कर्मचारी होते हैं, जो मामलों की सुनवाई करते हैं और न्यायिक निर्णय प्रदान करते हैं। इसके तहत कई प्रकार के मामले जैसे कि आपराधिक, निवास, संपत्ति, और विवादित विवादों की सुनवाई की जाती है।
यह सिविल Court सामान्यत: न्यायिक प्रक्रिया को फॉलो करता है, गवाहों के साक्षात्कार का आयोजन करता है, प्रमाणों की सुनवाई करता है, और न्यायिक निर्णय प्रदान करता है जो सिविल मामलों में संज्ञाना करता है।
Virtual court meaning in hindi
“वर्चुअल कोर्ट” का मतलब होता है एक ऐसा Court जो इंटरनेट या डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया और सुनवाई का आयोजन करता है, जिसमें वकील, न्यायिक अधिकारी, गवाह, और पक्षियों के बीच डिजिटल तरीके से संवाद होता है। वर्चुअल Court का उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया को और भी प्रभावी और सुगम बनाना है, और लोगों को आसानी से न्याय प्राप्त करने में मदद करना है, खासतर ऐसे स्थितियों में जब व्यक्तिगत उपस्थिति कठिनाइयों का कारण बन सकती है।
वर्चुअल Court के माध्यम से लोग अपने कानूनी मामलों को ऑनलाइन प्लेटफार्म पर दर्ज कर सकते हैं, और उनके मामले का निर्णय भी डिजिटल रूप में हो सकता है। इसका मतलब है कि वकील, गवाह, और न्यायिक अधिकारी अपने काम को वर्चुअल प्लेटफार्म के माध्यम से कर सकते हैं और न्यायिक प्रक्रिया को सुगम तरीके से प्रबंधित कर सकते हैं।
Court क्या है, Court ka matlab kya hota hai

Court एक स्थान होता है जहाँ न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है और कानूनी मामलों का निर्णय दिया जाता है। यह समाज की न्यायिक समस्याओं को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्था है।
कोर्टों का मुख्य उद्देश्य न्यायिक विवादों का समाधान करना है। जब लोगों के बीच मामलों में विवाद होता है, तो वे Court में जाते हैं ताकि एक निष्कर्ष और न्यायिक निर्णय दिया जा सके।
कोर्टों के पास विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए विशेष आदालतें होती हैं। उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय, और न्यायिक संस्थान जैसी आदालतें होती हैं, जो विभिन्न प्रकार के मामलों का समाधान करती हैं, Court ko hindi me kya kahte hain, Adalat ko english me kya kahte hain, Court meaning in hindi।
Court की संरचना और कामकाज का विशेष तरीके से नियमित रूप से पालन किया जाता है। एक आदालत में जज, वकील, और न्यायिक कर्मचारी शामिल होते हैं। जज निर्णय देने की जिम्मेदारी निभाते हैं, वकील मामले की प्रतिरक्षा करते हैं, और न्यायिक कर्मचारी सुनवाई की प्रक्रिया का सहयोग करते हैं।
Court में मामलों का चयन विशिष्ट नियमों के तहत किया जाता है। मामले के प्रकार और मूल्यांकन के आधार पर, वे उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय, या किसी अन्य आदालत में सुनवाई होती है।
Court की विधि प्रक्रिया न्यायिक आपराधिक मामलों के लिए निर्धारित होती है। इसमें मामले की सुनवाई, प्रमाणों की प्रस्तुति, गवाहों की साक्षरता, और निर्णय की प्रक्रिया शामिल होती है।
Court के आदालती प्रक्रिया में गवाहों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गवाह उन लोगों को कहा जाता है जिन्होंने मामले के बारे में जानकारी दी होती है, और उनकी साक्षरता की पुष्टि करने के लिए उन्हें पुकारा जाता है।
Court के आदालती निर्णय विधि के आधार पर दिए जाते हैं। यह निर्णय साक्षरता, प्रमाण, और कानूनी धाराओं के आधार पर होते हैं।
Court के आदालती निर्णय का पालन करना महत्वपूर्ण होता है। इससे समाज में न्याय की सुनिश्चितता बनी रहती है और विवादों का समाधान होता है।
Court के आदालती प्रक्रिया में अपील की भी सुविधा होती है। यदि कोई पक्ष आदालत के निर्णय से असंतुष्ट होता है, तो वह उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।
Court के आदालती निर्णय का पालन समाज में कानून की मान्यता और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देता है। यह समाज को विश्वास दिलाता है कि न्याय सबके लिए होता है और कोई भी कानून के खिलाफ नहीं चल सकता।
आखिरकार, Court समाज की संरक्षण और न्याय सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण साधन है। यह समाज के लोगों को न्यायिक रूप से समाधान प्रदान करता है और कानून का पालन करने की भावना को बढ़ावा देता है, Court ko hindi me kya kahte hain, Adalat ko english me kya kahte hain, Court meaning in hindi।
Court ka kya kaam hota hai
Court का मुख्य काम यह होता है कि वह न्यायिक तरीके से निर्णय देता है जब लोगों के बीच में किसी विवाद का समाधान करना होता है। जब लोग अलग-अलग बातचीत के बावजूद समझौता नहीं कर पा रहे होते हैं, तो वे Court में जाते हैं।
Court उन विवादों को सुनता है और कानून के अनुसार निर्णय देता है। इससे विवादों का समाधान होता है और न्यायिकता की सुरक्षा बनी रहती है। Court का मकसद यह होता है कि वे सुनिश्चित करें कि हर किसी को समान और न्यायिक तरीके से व्यवहार किया जाए।
Court के आदालती निर्णय के आधार पर दो पक्षों में न्यायिक निर्णय दिया जाता है, और उन्हें कानूनी धाराओं के अनुसार पालन करना होता है। Court विवादों को सुनने के बाद निर्णय देता है जिससे लोगों को समाधान मिलता है और वे अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं।
Court का काम यह भी होता है कि वह न्यायिक समस्याओं को तबादला करने में मदद करता है, जैसे कि अपील द्वारा किसी निर्णय के खिलाफ जाने का अधिकार देना।
Court भारतीय समाज में कानूनी न्याय की सुरक्षा और सामाजिक न्याय की स्थापना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ताकि लोगों को विश्वास हो कि उन्हें न्याय मिलेगा और वे अपने हकों का पालन कर सकें, Court ko hindi me kya kahte hain, Adalat ko english me kya kahte hain, Court meaning in hindi।
Court का मुख्य उद्देश्य क्या है, Court ka mukhy uddeshay kya hota hai
Court का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि वह न्यायिक तरीके से विवादों का समाधान करे। Court वो स्थान होता है जहां लोग जाते हैं जब उनके बीच में किसी तरह की समस्या या विवाद होता है, और वहां न्यायिक तरीके से उन समस्याओं का समाधान किया जाता है। Court का मुख्य उद्देश्य होता है कि यह सुनिश्चित करे कि हर कोई न्यायपूर्ण तरीके से व्यवहार करे और उनके कानूनी अधिकारों का पालन हो। यह समाज के लोगों के बीच न्याय और समानता की सुरक्षा देने का काम करता है।
Court के प्रमुख प्रकार क्या होते हैं, Court kitne prakar ke hote hain
Court के प्रमुख प्रकार होते हैं:
- जिला न्यायालय: ये सामान्यत: न्यायालय होते हैं जो किसी जिले या क्षेत्र के न्यायिक मामलों का समाधान करते हैं। जैसे कि सामान्य जुर्माने, विवादित वस्त्र आदि के मामले।
- उच्च न्यायालय: ये न्यायालय सामान्य जिला न्यायालयों के उपर होते हैं और विवादों के खिलाफ अपील की सुनवाई करते हैं। ये बड़े और महत्वपूर्ण मामलों का निर्णय देते हैं।
- सुप्रीम कोर्ट: यह सबसे उच्च न्यायिक संस्था होती है जो देश के सबसे महत्वपूर्ण और जटिल मामलों का समाधान करती है। यह न्यायिक निर्णय को अंतिम रूप देती है और विधिक कानून के मामलों को स्पष्ट करती है।
- क्राइमिनल कोर्ट: इन न्यायिक संस्थाओं में आपराधिक मामलों का समाधान किया जाता है, जैसे कि अपराधिक अपराधों के आरोपियों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई।
- सिविल कोर्ट: ये न्यायिक संस्थाएँ नागरिक मामलों का समाधान करती हैं, जैसे कि संपत्ति विवाद, वस्त्र विवाद, और परिवारिक मामले।
- वरिष्ठ न्यायिक संस्था (चीफ जस्टिस कोर्ट): कुछ देशों में, वरिष्ठ न्यायिक संस्था न्यायिक निर्णयों के खिलाफ अपील की सुनवाई करती है और सुप्रीम Court के समकक्ष होती है।
- फैमिली कोर्ट: ये Court परिवारिक मामलों का समाधान करते हैं, जैसे कि तलाक, पालन-पोषण, और संपत्ति विवाद।
ये हैं कुछ मुख्य प्रकार के कोर्ट, जो विभिन्न प्रकार के मामलों का समाधान करते हैं। इनमें से प्रत्येक का अपना खास क्षेत्र और प्राधिकृत्य होती है।
Court की संरचना कैसी होती है, Court ki sanrachna kaisi hoti hai
Court की संरचना एक प्रशासनिक और न्यायिक तंत्र होती है, जिसमें निम्नलिखित मुख्य अंग होते हैं:
- जज (Judges): जज Court के मुख्य होते हैं। वे न्यायिक निर्णय देते हैं और कानून के आधार पर मामलों का समाधान करते हैं।
- वकील (Lawyers): वकील Court के दोनों पक्षों के लिए बोलते हैं। वे अपने मामलों की प्रतिरक्षा करते हैं और कानूनी तरीके से अपने मामले को प्रस्तुत करते हैं।
- याचिकाकर्ता (Prosecutors): ये वकील होते हैं जो सरकार की ओर से आपराधिक मामलों की याचिका देते हैं और आपराधिकों के खिलाफ मुकदमों की प्रतिरक्षा करते हैं।
- न्यायिक कर्मचारी (Court Staff): इसमें विभिन्न कार्यकारी और क्लर्किकल कर्मचारी शामिल होते हैं, जो Court की दैनिक कार्यवाही में मदद करते हैं, जैसे कि न्यायिक दस्तावेज़ की रखवाली और कार्यालय के प्रबंधन का काम।
- गवाह (Witnesses): ये व्यक्ति होते हैं जो Court में गवाही देते हैं और अपने ज्ञान के आधार पर मामले को साबित करने में मदद करते हैं।
- आदालत का इमाम (Court Clerk): इमाम Court के निर्णयों का रिकॉर्ड रखते हैं और न्यायिक दस्तावेज़ की संरचना में मदद करते हैं।
- Court की संरचना इन अंगों के संयोजन से बनी होती है जो समाज में न्याय के सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। यह संरचना न्यायिक प्रक्रिया को न्यायपूर्ण और सुरक्षित बनाती है।
Court के जज क्या काम करते हैं, Court me judge ka kya kaam hota hai
Court के जज न्यायिक निर्णय देते हैं। उनका मुख्य काम होता है कि वे विवादों और मामलों के बारे में सही और न्यायिक फैसले करें। वे लोगों के द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी और कानून के आधार पर फैसला देते हैं कि किसकी ओर से न्याय की परिपत्र है और किसकी ओर से नहीं।
जज निर्णय देते समय वे न्यायिक तरीके से कानून का पालन करते हैं और तर्क-विचार करते हैं कि कैसे किसी विवाद को सुलझाया जा सकता है। वे न्यायिक प्रमाणों की गुणवत्ता को मूल्यांकन करते हैं और गवाहों और वकीलों की सुनवाई को सुनते हैं। उनका मानना होता है कि न्यायिक निर्णय लोगों के लिए न्यायपूर्ण और सामान्य होने चाहिए ताकि समाज में न्याय की भावना बनी रहे।
इसके अलावा, जज अपीलों का निर्णय भी देते हैं, जिसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति किसी न्यायिक निर्णय से असंतुष्ट होता है, तो वह उच्च न्यायालय में जाकर अपील कर सकता है, और जज इस अपील को भी सुनते हैं और निर्णय देते हैं कि क्या पूर्व निर्णय को बदलने की आवश्यकता है या नहीं।
जजों का मुख्य उद्देश्य होता है कि वे न्यायिक निर्णयों के माध्यम से समाज में न्याय और समानता की सुरक्षा दें और विवादों का न्यायपूर्ण समाधान करें, Court ko hindi me kya kahte hain, Adalat ko english me kya kahte hain, Court meaning in hindi।
Court में मामलों का चयन कैसे होता है, Court me matter ka selection kaise hota hai
Court में मामलों का चयन निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से होता है:
- मुकदमा दर्ज करना: किसी व्यक्ति या संगठन को अपने मामले को न्यायिक दर्जन करने के लिए Court में मुकदमा दर्ज करना होता है।
- पुनरीक्षण और पेशी: मुकदमे को Court में पेश करने के बाद, वकीलों द्वारा उसका पुनरीक्षण और पेशी की जाती है। इसमें मामले की पूरी जानकारी और सबूतों की पेशेगी होती है।
- सुनवाई: Court में मामले की सुनवाई की जाती है, जिसमें प्रतियोगी पक्षों के वकील मामले के प्रस्तावना और तर्क प्रस्तुत करते हैं।
- निर्णय: जब सुनवाई पूरी होती है, तो Court न्यायिक निर्णय देती है। निर्णय आमतौर पर विचारणीय सबूतों, कानूनी प्रावधानों और प्रमाणों के आधार पर होता है।
- अपील: कई मामलों में, निर्णय के खिलाफ अपील की जा सकती है, जिसमें उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के समक्ष मामले की पुनरावलोकन की अनुमति दी जाती है।
- इस तरीके से, Court में मामलों का चयन और न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाता है, ताकि न्यायिक निर्णय न्यायिक और विवादमुक्त ढंग से लिया जा सके।
Court के आदालती प्रक्रिया में सुनवाई कैसे होती है, Court me sunwai kaise hoti hai
Court में सुनवाई या न्यायिक प्रक्रिया का आयोजन निम्नलिखित आसान शब्दों में होता है:
- मामले की अनुबंधन (Filing of Case): जब किसी को किसी समस्या या विवाद का समाधान चाहिए, तो वह उस समस्या को Court में दर्ज करता है, जिसे मामले की अनुबंधन कहा जाता है।
- सुनवाई की तिथि (Court Hearing Date): उसके बाद, Court निर्धारित तिथि पर मामले की सुनवाई करता है। इस दिन, जोड़ीदारों या पक्षपातियों को Court में आना होता है।
- तर्क और सबूतों का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Arguments and Evidence): जोड़ीदार अपने तर्क प्रस्तुत करते हैं और सबूतों को Court के सामने पेश करते हैं।
- प्रतियोगी पक्ष का जवाब (Response by Opposing Party): पक्षपातियों के वकील फिर से उन तर्कों का उत्तर देते हैं और अपनी पक्ष से विचार प्रस्तुत करते हैं।
- न्यायिक निर्णय (Judicial Decision): Court न्यायिक निर्णय देता है, जिसमें वह विचारणीय सबूतों और कानूनी प्रावधानों के आधार पर निर्णय करता है।
- अपील (Appeal): कुछ मामलों में, पक्षपातियों को Court के निर्णय के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी जा सकती है, जिसका मतलब होता है कि वे उच्च न्यायालय में मामले की पुनरावलोकन की अपील कर सकते हैं।
इस तरह के तरीके से, Court में सुनवाई के दौरान तर्क और सबूत प्रस्तुत किए जाते हैं और फिर Court न्यायिक निर्णय देता है, जिसका पालन किया जाता है ताकि विवाद का समाधान किया जा सके।
Court के आदालती प्रक्रिया में गवाहों की भूमिका क्या होती है, Court me gawaho ki jarurat kyu hoti hai
Court के आदालती प्रक्रिया में गवाहों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। गवाह वे व्यक्ति होते हैं जो Court में गवाही देते हैं और मामले के तथ्यों की पुष्टि करते हैं। यहाँ, आसान शब्दों में गवाहों की भूमिका का विवरण है:
- तथ्यों की पुष्टि (Verification of Facts): गवाहों की मुख्य भूमिका तथ्यों की पुष्टि करना होती है। वे अपनी गवाही के माध्यम से Court को बताते हैं कि मामले के विवादित पहलुओं में क्या हुआ था।
- साक्षात्कार (Testimony): गवाहों को Court में साक्षात्कार किया जाता है, जिसमें वे अपनी गवाही देते हैं और अपने ज्ञान और देखा हुआ कुछ भी साझा करते हैं।
- सबूतों की पेशकश (Presentation of Evidence): गवाह उन सबूतों को प्रस्तुत करते हैं जो उनकी गवाही को समर्थन देते हैं, जैसे कि दस्तावेज, ख़त, फ़ोटोग्राफ़, आदि।
- तथ्यों की प्रमाणित करना (Corroborating Facts): गवाहों की गवाही को दूसरे साक्षात्कार, साक्षराता और सबूतों के साथ मिलाकर तथ्यों की प्रमाणित किया जाता है, ताकि उनकी गवाही का विश्वास किया जा सके।
- न्यायिक निर्णय में मदद (Assistance in Judicial Decision): गवाहों की गवाही का महत्वपूर्ण भूमिका होता है क्योंकि उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए तथ्य और सबूत से Court को मामले का न्यायिक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
इस तरीके से, गवाह Court के न्यायिक प्रक्रिया में तथ्यों की पुष्टि करने और सबूत प्रस्तुत करने में मदद करते हैं, जिससे न्यायिक निर्णय को आधारित और सही बनाने में सहायक होते हैं।
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